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शनिवार, मार्च 10, 2018

"कम्प्यूटर और इण्टरनेट" (चर्चा अंक-2905)

मित्रों!  
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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"हे नारी तू सागर है..." 

Vishaal Charchchit
महिला दिवस पर एक खास रचना...
"हे नारी तू सागर है..."

हे नारी तू सागर है

जहां नदियाँ मिलतीं आकर हैं
पुरुष समझता आधा - पौना
कहे घरेलू गागर है...
जिसने भाँप लिया रत्नों को
तेरे आँचल के साए में,
सही अर्थ में समझो उसका
देवी - देवताओं का घर है... 

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महिलाएं चाहती हैं 

चाहती हैँ ईँट भट्टोँ मेँ काम करने वाली महिलाएं कि उनका भी अपना घर हो चाहती हैँ खेतोँ पर भूखे रहकर अनाज ऊगाने वाली महिलाएं कि उनका भी भरा रहे पेट चाहती हैँ मजबूर महिलाएं कि उनकी फटी साड़ी मेँ न लगे थिगड़ा सज संवर कर घूम सकेँ बाजार हाट चाहती हैँ यातनाओँ से गुजर रही महिलाएं उलझनों और प्रताड़ना की खोल दे कोई गठान ताकि उड़ सकें कामनाओँ के आसमान मेँ बिना किसी भय के... 
Jyoti Khare  

छूटा साथ गगन से मेरा 

मै नीर भरी दुख की बदली 
आंसू बन नैनों से छलकी , 
सीने में जज़्बात दबाये 
पीर हृदय में शोर मचाये... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi  
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हसीं 

उनकी एक हसीं से रंगों के गुलाल खिल गये 
अधरों पर मानों गीत मधुर सज गये 
चेहरे से नक़ाब जो सरक गया 
तमस को चीर आफ़ताब खिल गये... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL  
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6 टिप्‍पणियां:

  1. शुक्रिया सर |आपका और आपके सहयोगियों का दिन शुभ हो

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय मयंक जी,बेहद शानदार प्रस्तुति।
    कहते है जब उद्देश्य और नीयत अच्छी हो तो वो काम अच्छा ही होता है।
    ब्लॉग जगत में आप का योगदान अतुल्य है।
    हमारी रचनाओं को लोगों तक पहुंचाकर आप का कवियों से कवियों को जोड़ने का कार्य बेहद सराहनीय है।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. हमेशा की तरह शानदार संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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