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मंगलवार, मई 15, 2018

"रखना सम अनुपात" (चर्चा अंक-2971)

मित्रों! 
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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"सृजनहार"  

दोहे  

राधा तिवारी" राधेगोपाल " 

साहस से अपनी चले, नारी सीधी चाल l
 सागर की लहरें सदा, लाती है भूचाल ll

जीवन के हर क्षेत्र , करती रही कमाल l
 लेकिन दुनिया नारि परकरती सदा सवाल... 
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नज़रे इनायत 

इक जरासी रात की 
 नज़रे इनायत क्या हुई 
,हम हम न रहे खुद को भूल गए 
वे भावनाओं में इस कदर खोए 

कि परिणाम भी न सोच पाए
नतीजा क्या होगा... 
Akanksha पर Asha Saxena  
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किताबों की दुनिया - 177 

नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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गुड़ - शक्कर 

कहाँ शक्कर और कहाँ गुड़ ! 
एक रिफ़ाइंड, सुन्दर, खिलखिलाकर बिखर-बिखर जाती, नवयौवना , 
देखने में ही संभ्रान्त, सजीली शक्कर और कहाँ गाँठ-गठीला, 
पुटलिया सा भेली बना गँवार अक्खड़ ठस जैसा गुड़... 
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना 

3 टिप्‍पणियां:

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